सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों से पूछा: क्‍या वे Covid मरीजों का आयुष्‍मान भारत की दर से इलाज करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों से पूछा: क्‍या वे Covid मरीजों का आयुष्‍मान भारत की दर से इलाज करेंगे

सेहतराग टीम

प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के सभी मरीजों का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत तय रेट पर किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों से सवाल किया है कि क्या देश के प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान भारत के लिए तय कीमत पर कोरोना मरीजों का इलाज करने तैयार हैं? साथ ही प्राइवेट अस्पतालों से इस पर जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है। इस मामले में केंद्र सरकार भी हलफनामा दायर करेगी। हालांकि अभी इस मामले की सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी प्राइवेट अस्पतालों को लेकर सुनवाई नहीं करेंगे बल्कि केवल उन प्राइवेट अस्पतालों के मामले में सुनवाई करेंगे जिन्हें सरकार द्वारा रियायती दर पर जमीन मिली है या जो चैरिटेबल ट्रस्ट के अस्पताल हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन जस्टिस आरएम लोढ़ा की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि रियायती दर पर जमीन लेने वाले अस्पताल को कुछ गरीब मरीज का फ्री इलाज करना होगा। इसके अलावा चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि क्यों ये अस्पताल कुछ मरीज को फ्री इलाज नहीं कर सकते।

याचिका में की गई मांग

सुनवाई के दौरान हेल्थ केयर मिशन की ओर से हरीश साल्वे ने कि जो भी अस्पताल रियायती दर वाली जमीन पर हैं वो फ्री बेड दे रहे हैं। वहीं अस्पतालों के असोसिएशन की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि अस्पताल उन तमाम नियमों का पालन कर रहे हैं जिनका चीफ जस्टिस ने सुझाव दिया है।

वहीं इस पर याचिकाकर्ता सचिन जैन ने दलील दी कि केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत स्कीम लागू की है और यह प्राइवेट अस्पतालों पर भी लागू होती है। साथ ही साल्वे ने कहा कि याचिका में मांग है कि प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान भारत के लिए तय कीमत पर ही सबका इलाज होना चाहिए। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार को नागरिकों के पक्ष में होना चाहिए न कि कॉरपोरेट अस्पतालों के लिए खड़ा होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि आयुष्मान भारत में कोविड के इलाज का पैकेज तय है और उसमें रोजाना का खर्च 4 हजार रुपये है।

हालांकि इस पर चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या आप यह कहना चाहते हैं कि इस दौरान कोई भी अस्पताल लाभ न कमाए। इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं कोर्ट के सामने बता सकता हूं कि आयुष्मान भारत स्कीम लागू करते वक्त जो रेट तय किया गया है उसमें अस्पतालों का लाभ भी शामिल है।

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आयुष्मान भारत के लिए कैटगरी तय की गई है। जिसमें उन लोगों को शामिल किया गया है जो इलाज का खर्चा उठा नहीं सकता है। हम अदालत में एफिडेविट देकर बताएंगे कि आयुष्मान भारत कैसे काम करता है। सरकार हर उपाय कर रही है।

हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सिर्फ ये जानना चाहते हैं कि क्या प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान भारत के लिए तय कीमत लेने को तैयार हैं। इस पर अस्पतालों की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।  अदालत ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है।

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोरोना वायरस का खतरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है और ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज के लिए सरकार रेट तय करे। केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज के लिए कीमत रेग्युलेट करे। अर्जी में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च को कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था। भारत में बड़ी संख्या में लोग आए दिन संक्रमित हो रहे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन प्राइवेट अस्पतालों की पहचान करने को कहा था जहां कोविड-19 यानी कोरोना का मुफ्त या फिर कम से कम खर्च में इलाज हो सके।

 

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